20 जुलाई 2008

अर्ज़ है……

प्याले से लब मिले, शराबी बन गए
आप से नज़रें मिलीं, आशिक़ बन गए”

“क़त्ल करो न करो, हम तो मरे जाते हैं
जाम मुहब्बत का ‘धीर’, हम तो पिए जाते हैं”

“जीने की तमन्ना अब दिल में नहीं बाकी
बस! ऐ हुस्न, तेरा दीदार हो जाए”

“हर हुस्न बलानोश है अदाएँ
हम खून-ऐ-ज़िगर ऐ ‘धीर’ कैसे दिखाएँ”

“होठों पर तेरे तबस्सुम जो आए
दिल मेरा मचल-मचल जाए”

“लाश से हमारी तूने क़फ़न हटाया
जैसे नक़ाब तूने, हाथों से ख़ुद उठाया”

“क्या तारीफ करुँ तेरे हुस्न की, अल्फाज़ नहीं मिलते
खिजाँ के रोज़ गुलशन में, कभी गुल नहीं खिलते”

“मेरे दिल की मजार पे, यह किसने शम्मा जलायी
क्या इश्क में किसी की, फिर मौत हो गयी?”

“ऐ खुदा! तू सुन ले मेरा अफसाना
तू सब कुछ बना, बेवफा न बनाना”

“है यह नेक-दिली उनकी, जो मैय्यत पर आ गए
तुर्बत पर गुल चढा कर, चार आंसू बहा गए”

“क्या घुट-घुट के मरने को कहते हैं प्यार?
शायद यही रोग मुझे हो गया है यार!!”

“दिलों का क़त्ल होता है, लहू आंखों से बहता है
अदालत में खुदा तेरी, यही इन्साफ होता है”

“नज़रों में क़यामत है, तेरे हुस्न में है जादू
दिल कहता है, दिल तेरे क़दमों में बिछा दूँ”

“कब तक मैं तेरी आरजू किया करूंगा
आखों में भींच तुझे सोया करूंगा”

“वक्त ठहर जाता तो हम तुम्हारे होते
गर्दिश-ए इस हाल में तन्हा तो न होते”

“ऐ सनम! तू जो मुझसे मोहब्बत न करता
ज़िन्दगी भर यह गीत आहों में खोता”

“ख़त में तुमको क्या लिखूं, अल्फाज़ नहीं हैं
ख्यालों में तुम ही तुम हो, कुछ याद नहीं है”

1 टिप्पणी:

  1. “ख़त में तुमको क्या लिखूं, अल्फाज़ नहीं हैं
    ख्यालों में तुम ही तुम हो, कुछ याद नहीं है”
    ........bahut sundar

    जवाब देंहटाएं