23 जुलाई 2010

कुछ यूँ ही.......

हर बार मुहब्बत का मेरी मुझसे सबूत माँगा है
क्या कहें? कैसे कहें कि जीने कि वजह क्या है

वह रहनुमा जिसने मुझे पंख दिए परवाज़ को,
उसी रहबर ने मेरे पाँव जकड़ रखे थे!!

मिजाज़ उनके मौसम की तरह बदलते रहे,
और हम यहाँ मूंछों पे तेल मलते रहे!!