19 जुलाई 2008

प्रवर्तन


मेरे हाथ
उन घावों को सहला रहे हैं-
जो पिछले कुछ सालों से,
दर्द करने लगे हैं.
परेशान करने लगे हैं.
क्यों की अब उनमे से
वह सब बहता है
जो कभी नहीं बहता था.
कभी-कभी मेरे हाथ
घावों को सहलाते – सहलाते
उन्हें कुरेदने लगते हैं. शायद इसीलिए
उनमे से
वह सब बहता है
जो कभी नहीं बहता था.
मैंने अपने हाथों की अँगुलियों को
पकड़ रक्खा है.
लेकिन-
अब वो फिर कुलबुला रहीं हैं.
घावों को कुरेदने के लिए-
नासूर बनाना की लिए
जिससे वह सब फिर से
बहने लगे.
जो कभी नहीं बहता था.
जिससे हाथों को फिर
एक बार!
घावों को सहलाने का मौका मिले.
और फिर / एक बार
घावों को कुरेदने का.

(NOVEMBER 17th 1981)

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