6 जनवरी 2018

यादें

यादों की दोछत्ती से मैं
बचपन की संदूक उठा लाया
उस बक्से में यह रखा है
कुछ स्वेटर, कुछ मोजे
कुछ फुँदने वाले टोपे
उसमें थोड़े से गुल्लक हैं
जिनमे छोटे से सपने हैं
कुछ सिक्के हैं कुछ चिटठे हैं
उन चिट्ठों में तकरीरें हैं
उन शब्दोँ के भोलेपन को मैं
निज अंतर्मन में ढो लाया
यादों की दोछत्ती से मैं
बचपन की संदूक उठा लाया

एक गुड़िया है एक पुड़िया है
जिसमें गुड़ की रसभरियाँ है
इमली के सूखे बीज भी है
कुछ पत्थर वाली गोटे है
एक लट्टू है, एक पट्टी है
पट्टी में चित्र उकेरें हैं
इन चित्रोँ के रंगों का संगम
निज अन्तरघट में भर लाया
यादों की दोछत्ती से मैं
बचपन की संदूक उठा लाया