27 जनवरी 2009

जज़्बात मेरे......


ख्वाबों को तितलियों की दुहाई न दो
आँखों से मेरी नींद की रिश्ते बिगड़ गए

आप खुशनसीब हैं जो ज़िन्दगी के मालिक हैं
उनसे पूछिए जिन्हें मौत ने भी न पूछा

आज का दिन मेरी ईद का है दिन
देख तेरे लबों पर तबस्सुम मचल उठा

यह रात और दूर तक बिखरी सी चांदनी
साहिल पे गूंजती हुई, मचलती सी रागिनी
हम सोचते ही रह गए, दामन तो थाम लें
उस महज़बीं के नाम का मदमस्त जाम लें

बन कर हँसी मेरे होठों से लिपट जाते
एक ही तो हसरत है जो दिल में बसी है

जब भी कहीं क़त्ल की दास्ताँ बयां हुई
होठों ने ख़ुद-बा-ख़ुद तेरा नाम ले लिया

नफरत से मुझे आप ने देखा नहीं कभी
मोहब्बत से मेरा नाम भी पुकारा नहीं कभी

तशना-लब हूँ मै कोई आज मुझे जाम तो दो
अपनी नज़रों से छलकता कोई पैगाम तो दो
मेरे अश्कों को कोई और नया नाम न दो
शबे फुरक़त है, फुरक़त की कोई शाम तो दो

हंसने की तमन्ना की इस दिल ने जब कभी
जिना-ए-लब ने तबस्सुम भी आकर छीन लिया
अफ़सोस दिलों का क़त्ल हुआ है जब कभी
बेक़सूर आखों से लहू बहता रहा है बूँद-बूँद

हर आहट पर तेरे आने का गुमाँ हुआ
नज़र उठी तो चाँद को हँसते देखा

10 जनवरी 2009

मुझे दर्द दे इतना.....

मुझे दर्द दे इतना की मिटा सकूँ किसी का दर्द
ख़ुद के अश्कों पर हंस सकूँ पोंछ कर ग़मों की गर्द
मुझे दर्द दे इतना......

नहीं साहिल की तमन्ना, नहीं तूफान का ग़म
ख़ुद ही बन कर दर्द-ए-जिगर, बता सकूँ दर्दों का ग़म
होठों को न हंसने की क़सम दे कर मुस्कुरा दूँ?
कितना बड़ा है फरेब, कितना सर्द है दिल
मुझे दर्द दे इतना.....

नहीं तबस्सुम की तमन्ना, नहीं ग़मों का ग़म
लुटा दूँ जान, मिट सके जो किसी का ग़म
दिल की जलन से ऐ 'धीर', अपने अरमानों को जला दूँ?
कितना बड़ा है फरेब, कितना सर्द है दिल
मुझे दर्द दे इतना.....

4 जनवरी 2009

दिल मेरा

जल रहा है दिल मेरा ग़म-ए-जुदाई की आग में

लिख रहा हूँ यह ग़ज़ल मैं, तुझको तेरी याद में

ठहरता नहीं है दिल पहलू में मेरे

आजा, अब आ भी जा यारब,

कहाँ वह चैन, वह सकूँ कहाँ है?

तू तो आया है बा-मुश्किल ख्याल में

लिख रहा हूँ...........

दिल लगाना इतना आसाँ नही है

तुने इसको समझा है जितना

हाय रे हमसफ़र मेरे

तू तो इतना नादाँ नहीं है

रहम तो आए तुझे इस हाल में

लिख रहा हूँ...................

चाहे न समझो दिल की लगी को

रहम तो करना इतना तुम मुझ पर

तुरबत पर मेरी ऐ 'धीर' आकर

चश्म-ए-तर से कुछ गुल बिछाना

तुम तो आबाद रहो वीराने में

लिख रहा हूँ...............