2 अक्तूबर 2008

आज हो जो सहर......

आज हो जो सहर, मुझसे वादा करो
आओगे तुम सनम जान पर खेल कर
रूठने जो लगे मौत मुझसे सनम
इक नज़र देख लेना मुलाक़ात में
आज हो जो सहर.....

उसके हंसने से बिजली चमकने लगी
जैसे साकी से बोतल खनकने लगी
उसने खोली जो जुल्फे घटा थम गयी
इस कदर थी हंसीं फूल शर्मा गए
इक नज़र देख लेना......

याद तुमको अगर आज आए मेरी
आँख से बह पड़े आंसुओं की झड़ी
हम यह समझेंगे जन्नत हमें मिल गया
छोड़ सकते नहीं तेरा दामन सनम
इक नज़र देख लेना......

जब से देखा तुम्हें दिल यह कहने लगा
अब ना थामेंगे दामन किसी और का
मौत मेरी हुयी रुसवा हम ही हुए
देख अब तो नहीं तुमको मुझसे गिला
इक नज़र देख लेना......

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