2 अक्तूबर 2008

शमा रोशन रहे.....


शमा ना थरथराये, शमा रोशन रहे
और भी सजती रहे महफिल, शाम ढलती रहे
आज की हर नज़्म में शामिल आप हों
अभी तो जी लें, न जाने कब यह बात हो
तेरे होठों से निकले अल्फाज़ हम चूम ही लेंगे
होठों से निकला हर गीत हमारा होगा
धड़कने दे दिल की धड़कन को इस तरह
हर बार तेरा नाम ही लेता रहूँ मैं

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