4 नवंबर 2008

पायल की झंकार

हाँ! मैंने सुनी है

मधुर

पायल की झंकार / तब
जब तुम मेरे सीने पर
अपने होठों से चुम्बन देकर
झंकृत कर देती थीं -
मेरा रोम-रोम
मेरा अंग-अंग
उसी क्षण बज उठती थी
तुम्हारे साँसों के स्वर में
मधुर
पायल की झंकार
हाँ! मैंने सुनी है।


जब मुझे जीवन घड़ियां
उदासी देने लगीं -
जब प्रातः स्वर्ण रश्मियाँ
बासी लगने लगीं
तब..........हाँ! तब ही -
तुमने मेरा नाम लेकर
मुझे पुकारा
संगीत के सुरों पर थपकी देकर
..............हाँ! तब ही
तुमने हाथों में गुलाल लेकर
आकाश में बिखेरा
अपने सिन्दूरी कपोलों की लाली देकर
उसी क्षण गूँज उठी थी
तुम्हारी चितवन के स्वर में
मधुर
पायल की झंकार
हाँ! मैंने सुनी है

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