1 नवंबर 2008

कुछ दूर तो चल कर देखें

मुमकिन है सफर हो आसाँ, कुछ दूर तो चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो, कुछ हम भी बदल कर

दो चार कदम हर रास्ता, पहले की तरह लगता है
शायद कुछ रास्ता बदले, कुछ दूर तो चल कर देखें
झूठा ही सही यह रिश्ता , मिलते ही रहें हम यूँ ही
हालात नहीं बदलेंगे, रिश्ते ही बदल कर देखें

सूरज की तपिश भी देखी, शोलों की कशिश भी देखी
अबके जो घटा ये छाये, बरसात में चल कर देखें
अब वक्त बचा है कितना, जो और लड़े दुनिया से
दुनिया की नसीहत पर भी, थोड़ा सा अमल कर देखें

मुमकिन है सफर हो आसाँ, कुछ दूर तो चल कर देखें

कुछ तुम भी बदल कर देखो, कुछ हम भी बदल कर देखें

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