29 सितंबर 2008

कदम लड़खडाने लगे……

क्या इशारा किया आज नज़रों ने तेरी
कदम लड़खडाने लगे
होश आने लगा था मुझे आज लेकिन
कदम लड़खडाने लगे

गुनगुनाते हुए अंजुमन हमने देखे
बहारों में हँसते चमन हमने देखे

यह गुमाँ हमको था फिर खुशी मिल सकेगी
अजब था नशा आज तेरी अदा में
कदम डगमगाने लागे

बहुत चोट खाए बशर हमने देखे
चांदनी में सुलगते मकाँ हमने देखे

यह यकीं था हमें मौत अब तो मिलेगी
इसी अज्म से हम चले जा रहे थे
कदम ज़ख्म खाने लगे

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