26 सितंबर 2008

मैं अश्क बहाती रहती हूँ.....

मैं अश्क बहाती रहती हूँ, फिर भी तकदीर नहीं बदलती

अश्कों की कसमें खाती हूँ, फिर भी नींद नहीं आती

मैं आँसू पीती रहती हूँ, फिर भी यह प्यास नहीं बुझती

नज़रों की प्यास बुझाती हूँ, पर दिल की प्यास नहीं बुझती

तुम जब रहते पास मेरे, तब भी नींद नहीं आती

तुम ना रहते पास मेरे, तब भी नींद नहीं आती

रहती हूँ मैं साथ तेरे, पर दिल की प्यास नहीं बुझती

आखों में छाये रहते हो तुम, आखों की प्यास नहीं बुझती

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें