जल रहा है दिल मेरा ग़म-ए-जुदाई की आग में
लिख रहा हूँ यह ग़ज़ल मैं, तुझको तेरी याद में
ठहरता नहीं है दिल पहलू में मेरे
आजा, अब आ भी जा यारब,
कहाँ वह चैन, वह सकूँ कहाँ है?
तू तो आया है बा-मुश्किल ख्याल में
लिख रहा हूँ...........
दिल लगाना इतना आसाँ नही है
तुने इसको समझा है जितना
हाय रे हमसफ़र मेरे
तू तो इतना नादाँ नहीं है
रहम तो आए तुझे इस हाल में
लिख रहा हूँ...................
चाहे न समझो दिल की लगी को
रहम तो करना इतना तुम मुझ पर
तुरबत पर मेरी ऐ 'धीर' आकर
चश्म-ए-तर से कुछ गुल बिछाना
तुम तो आबाद रहो वीराने में
लिख रहा हूँ...............
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