अनुभूति
मेरी हिंदी रचनाओं का संकलन है यह........
6 दिसंबर 2008
पत्थर
हमने जो पत्थर तराशे
नींव में सब सो गए
मील के पत्थर शहर की
भीड़ में सब खो गए
अब किसे आवाज़ दें
जब हर तरफ दीवार है
शब्द हैं खामोश
इशारे भी यहाँ लाचार हैं
धूप रिश्तों की बची जो
आओ उसमें बैठ लें
उम्र की छोड़ो यहाँ पर
ज़िन्दगी व्यापार है
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