
आज सड़कों ने भी / शायद
ठण्ड से बचने का प्रयास किया है.
तभी तो कोहरे का शाल,
.............ओढ़ लिया है।
शायद बहुत अधिक गर्म है यह –
कोहरे का शाल।
तभी तो सड़क के माथे पर
पसीने की बूँद चमक उठी है।
यह कोहरे का शाल नहीं हो सकता।
क्यों की –
केवल शाल ही इतनी गर्मी दे?
सम्भव नहीं। तब?
हो सकता है यह कम्बल हो
क्यों की एक कम्बल ही
इतनी गर्मी देता है (गरीबों को) लेकिन
इतनी नहीं की
पसीने की बूँद चमक उठे।
हो सकता है यह बूँद गर्मी से न जन्मी हो
हर-पल बोझ उठाने से ही, यह
पसीने की बूँद चमक
उठी है। लेकिन
फिर भी वह –
वह कोहरे का शाल ही है
जिसे सड़कों ने ओढ़
रखा है।
[08.12.1981]
हर-पल बोझ उठाने से ही, यह
जवाब देंहटाएंपसीने की बूँद चमक
उठी है। लेकिन
bahut sundar
बहुत ही सुन्दर शब्द चित्र खींचा है।बधाई।
जवाब देंहटाएंpyaree rachna hai mtira - is kavia me abehe aur smbhavnae hi - tarashne kee
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव आमंत्रित है।
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